Friday, May 22, 2009

आज के बच्चे ...!



आज के बच्चे ,

होते
नहीं अच्छे ...!

क्यूँ ?

पारिवारिक परिवेश ...?

समाज या देश ...?

पहनावा या वेश ...?

घर या परदेश ,

हर जगह ,

हर छड़ ,

क्या इन सब का असर ,

बच्चों पर पड़ने से,
रह चुका है शेष ...?

बदले हुए वेशों को देखकर ,

क्या वे बदले नहीं वेश ...?

इन सब तमाम ,

अस्तित्वों के ,

परिणाम ,

प्रत्यक्ष हैं ...

आज के बच्चे ...!

- जयकरन सिंह भदौरिया

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